top of page
SPIRITUAL BENEFACTOR
VAISHNAVACHARYA HDH PUJYA GOSWAMI 108 SHRI VRAJRAJKUMARAJI MAHODAYASHRI
Annakut Ke Pad
To get full script of the Kirtan please click on the Kirtan row of below table.
Kirtan Title | Page | Kirtan | Raag |
---|---|---|---|
Sommel moodul manohar moorati nand suvan yuvatin sanga gawat|.. | Pustak1-345 | सॉमल मूदुल मनोहर मूरति नंद सुवन युवतिन संग गावत|॥
सगरंग रसरसिक रसिकनी राधामोहन प्रेम बढ़ावत ॥१॥
नूपुर रुनत क्वणित कटि किकिणी सुरवरसों मिलि वेणु बजावत ॥
तानमान बंधान अनागत अवघरतान भेद उपजावत ||२॥
कौतुक रासविलास सुधानिधि कमल नयन मनसिज शर लावत ॥
नृत्यमान प्यारी प्रीतम पदरज कृष्णदास नौछावर पावत ॥३॥ | Kanharo |
Shyam sanehi gaaiye yaatein srivrindavan raja paaiye hoe ..pru... | Part1-275 | श्याम सनेही गाइये यातें श्रीवृंदावन रज पाइये हो ॥प्रु.॥
राधा जिनकी भामती कुंजन कुंजन केलि ॥ तरु तमाल ढिंग अरुझी मानों लसत
कनककी बेलि ॥१॥ महामोहनी मन हस्यौ रसबस कीने लाल ॥ कुचकलशन
पर मन मल्यो लट बॉध्यौ मैन मराल ॥२॥ नयन सैन दे तन बेध्यो मन बेध्यौ
कल गान ॥ अंजन फंदन कुँवर कुरंगन चलें दोऊ भ्रींह कमान ॥३॥
नकबेसर बड़सी लगी चित्त चंचल मनमीन ॥ अधर सुधा दे बेधियौ चकृत किये
आधीन ॥४॥ अंग अंग रसरंगमें मगन भये हरि नाह ॥ व्यास स्वामिनी
सुख दियौ पिय संगमें सिंधु प्रवाह ॥५॥ | Gori |
Bansi bajaavai saanmari hoe kihin miss dekhan jaaun ree ..tech.. | Part1-285 | बंसी बजावै साँमरी हो किहिं मिस देखन जाँउ री ॥टेक॥
में तोय पूछूँ हे सीरी कहा कुँमर कौ नॉउ री ॥ मोर मुकुट माथें धरे वाकौ ललित
त्रिभंगी नॉउ री ॥१॥ लाल काछनी पीतांबर री पग नूपुर झनकार री ॥
कुंजन निर्तत सौमरी जहाँ मधुप करें गुंजार री ॥२॥ कोमलकर कटि पट गहेरी
करत मुरली धुनि गान री ॥ नादसुनत मन नारहै मेरी कैसें राखों प्रान री ॥३॥
पचिहारी हों पियसों मेसे कह्यौ न मानें कंत री ॥ परबस वाके बस परी मेरे लीयौ
चाहे अंत री ॥४॥ दया बिहूनौ निरदई मेरौ पीउ न जाने पीर री ॥| चलती
बेर आड़ौ रहै मेरी कबकौ दामनगीररी ॥५॥ मायबाप वर खोजकें मेरें बेड़ी
डारी पाँव री ॥ कमलनैन निरखे बिना मेरी रह्मौ न ऐसी हावरी ॥६॥ इतनों
कहिकें उठ चली री ज्यों कंचुकी तजि नागरी ॥ सूर॒स्याम सों यों मिली जैसें कंचन
मिल्यौ सुहाग री ॥७॥ | Bilawal |
Rune jhuna bajat pug penjani . hari key tunn jagamgat bich | Part1-146 | रुन झुन बजत पग पेंजनी । हरि के तन जगमगत बिच
बिच जटित कोटि कमनी ॥१॥ उठत तान तरंग बिच बिच जमी राग रगनी!
धरत पग डगमगत आँगन चलत ब्रिभुवन धनी ॥२॥ तिलक चारु लिलाट
शोभा जात कापै गनी । अमी काज मर्यंक ऊपर मानों बालक फनी ॥३॥
निरखि बाल विनोद जसुमति होत आनंद घनी । सूर प्रभु पर वारि डारों कोटि
मनमथ अनी ॥४॥ | Ramkali |
Aaj prabhaat jaat maaragamen sugan bhayo phal falit jasodake .. | NityaPad-233 | आज प्रभात जात मारगमें सुगन भयो फल फलित जसोदाके ॥
मंगल निध जाके भवन बिराजत इत आनंद अंग अंग प्रमदाके॥१॥
सीतल सुबास अवासन महियां मंगल गीत गावत मिल सखीयां ॥
परमानंद नीरखि मोहन मुख हरख हीये सीतल भई अखीयां ॥२॥ | Bibhaas |
Karat jalkeli piyapyari bhujmeli .. | NityaPad-251 | करत जलकेलि पियप्यारी भुजमेलि ॥
छुटत फुहारे भारे उजल हो दसवारे अतही सुगंधकी रेलि ॥१॥ निरखत ब्रजनारी
कहाकहों छबिवारी ठाडी सखी सबसहेल ॥| राधागोविंदलाल जल मध्य करत
ख्याल वुंदावन सुखझेल ॥२॥ | Saarang |
Page 1 of 889
bottom of page